Teen Bhai Ki Story - भाइयों की प्रेम कहानी | दिल को छू लेने वाली
लाइन-बाय-लाइन
• कहानी
- एक
गाँव था – शांत, हरा-भरा
और पहाड़ों की गोद में बसा हुआ।
- उसी
गाँव में रहते थे तीन भाई – अर्जुन, विवेक
और सूर्य।
- तीनों
अलग स्वभाव के, अलग
सोच के, पर
दिल से एक-दूसरे के लिए जान देने वाले।
- बड़ा
भाई अर्जुन शांत, समझदार
और जिम्मेदार था।
- मंझला
विवेक हंसमुख, खुशमिजाज
और दोस्ताना स्वभाव का था।
- सबसे
छोटा सूर्य थोड़ा जिद्दी, थोड़ा
शरारती लेकिन दिल से बेहद सच्चा था।
- तीनों
भाइयों का अपना-अपना सपना था।
- अर्जुन
शिक्षक बनना चाहता था और गांव के बच्चों को पढ़ाना चाहता था।
- विवेक
खेतों की देखभाल करता था और खेती में बड़ा नाम कमाना चाहता था।
- सूर्य
का सपना था कि वह शहर जाकर कुछ बड़ा करे और परिवार का नाम रोशन करे।
- उनके
माता-पिता की मृत्यु बचपन में हो गई थी।
- इसलिए
तीनों भाई ही एक-दूसरे का सहारा थे।
- अर्जुन
ने घर की जिम्मेदारी उठाई।
- विवेक
ने खेत संभाले।
- सूर्य
ने पढ़ाई को प्राथमिकता दी।
- जीवन
सरल था, पर
भावनाओं से भरा हुआ।
- लेकिन
एक दिन किस्मत ने ऐसी कहानी बुननी शुरू की, जिसमें
प्रेम, त्याग
और संघर्ष था।
- यह
कहानी सिर्फ प्रेम की नहीं, बल्कि
भाईचारे की परीक्षा की भी थी।
- गाँव
के मेले में उनकी दुनिया पलटने वाली थी।
- हर
साल मेले में दूर-दूर से लोग आते थे।
- रंग, रोशनी
और खुशियों से भरा वह मेला पूरे गाँव की जान होता था।
- तीनों
भाई भी उस दिन मेले की तैयारी कर रहे थे।
- सूर्य
सबसे ज्यादा उत्साहित था, जैसे
उसे आज कुछ खास मिलने वाला हो।
- अर्जुन
ने नए कपड़े पहने।
- विवेक
ने अपनी
पसंद की हल्की नीली शर्ट पहनी।
- सूर्य
चमकदार काली शर्ट में काफी स्मार्ट लग रहा था।
- तीनों
भाई मेले में पहुँचे।
- भीड़, गाने, मिठाइयों
और हंसी की आवाजें चारों ओर गूंज रही थीं।
- अचानक
सूर्य की नजर एक लड़की पर पड़ी।
- वह
लड़की गुलाबी सलवार सूट में खड़ी थी और अपनी सहेलियों से हंसते-हंसते बातें कर रही थी।
- सूर्य
एक पल के लिए ठहर गया।
- उसकी
आँखें उस लड़की पर अटक गईं।
- जैसे
उसके दिल ने अचानक धड़कनें तेज कर दी हों।
- विवेक
ने सूर्य के चेहरे पर चमक देख ली।
- वह
हंसते हुए बोला – “भाई, लगता
है कुछ तुम्हें अच्छा लगा है!”
- सूर्य
शरमा गया।
- उसने
कहा – “नहीं-नहीं, बस
ऐसे ही…”
- लेकिन
अर्जुन सब समझ गया।
- उसने
प्यार से सूर्य के कंधे पर हाथ रखा और कहा – “अगर दिल कुछ कह रहा है, तो
सुन लेना चाहिए।”
- सूर्य
चुप हो गया।
- वह
हिम्मत जुटाकर उस लड़की के थोड़ा पास गया।
- लड़की
ने भी उसकी तरफ देखा और हल्की मुस्कान दी।
- सूर्य
का दिल एक पल के लिए रुक सा गया।
- उस
लड़की का नाम था
अनन्या।
- वह
पास के कस्बे से आई थी और बेहद सरल स्वभाव की थी।
- सूर्य
ने पहली बार किसी से इतनी सच्ची जुड़ाव महसूस किया था।
- लेकिन
सूर्य कुछ बोल पाता, उससे
पहले मेला खत्म होने का समय हो गया।
- अनन्या
अपनी सहेलियों के साथ चली गई।
- सूर्य
की आँखें उसे जाते हुए रुक-रुककर देखती रहीं।
- घर
लौटते समय वह पूरी तरह खामोश था।
- अर्जुन
ने पूछा – “क्या हुआ?”
- सूर्य
बोला – “भाई, मुझे
लगता है मैं उसे पसंद करने लगा हूँ।”
- विवेक
चौंका – “इतनी जल्दी?”
- सूर्य
ने कहा – “दिल की बातें जल्दी नहीं होतीं… बस
हो जाती हैं।”
- अर्जुन
ने मुस्कुराया – “तो कोशिश करो।”
- अगले
कई दिनों तक सूर्य की हालत अजीब सी रही।
- न
खाने में मन लगता, न
पढ़ाई में।
- वह
बस यही सोचता रहता कि अनन्या से दोबारा कैसे मिले।
- उसने
बहुत कोशिश की, लेकिन
वह उसे कहीं दिखाई
नहीं दी।
- एक
दिन अचानक खबर मिली कि अनन्या का परिवार कुछ दिनों के लिए गाँव आया है।
- सूर्य
की खुशी का ठिकाना नहीं रहा।
- वह
उसे देखने उसके घर के पास गया।
- संयोग
से अनन्या भी बाहर निकली।
- सूर्य
और अनन्या आमने-सामने खड़े हो गए।
- कुछ
सेकंड तक दोनों बस एक-दूसरे को देखते रहे।
- सूर्य
ने हिम्मत जुटाई – “तुम… मेला
वाले दिन…”
- अनन्या
मुस्कुराई – “हाँ, मैंने
तुम्हें देखा था।”
- सूर्य
के अंदर जैसे नई जान आ गई।
- दोनों
ने बातें शुरू कीं।
- बातें
छोटी थीं, पर
एहसास बड़े।
- सूर्य
को लगा उसकी दुनिया बदल रही है।
- धीरे-धीरे
दोनों ज्यादा मिलने लगे।
- पेड़ों
की छाया के नीचे, खेतों
के बीच, नदी
के किनारे…
- सूर्य
दिन-भर बस उसी के बारे में सोचता।
- लेकिन
असली कहानी अभी शुरू भी नहीं हुई थी।
- एक
दिन अर्जुन गाँव के स्कूल से लौट रहा था।
- उसके
रास्ते में उसकी मुलाकात एक लड़की से हुई।
- लड़की
ने उसे देखा और कहा – “सर, क्या
आप मुझे पढ़ा सकते हैं?”
- अर्जुन
ने कहा – “अगर तुम्हें सच में पढ़ना है, तो
मैं जरूर पढ़ाऊँगा।”
- लड़की
मुस्कुराई – “मेरा नाम
काव्या
है।”
- काव्या
की आँखों में इच्छा थी, सपने
थे और एक चमक थी।
- अर्जुन
ने उसे पढ़ाना शुरू किया।
- काव्या
बहुत तेज थी और पढ़ाई में जल्दी आगे बढ़ने लगी।
- धीरे-धीरे
अर्जुन को एहसास होने लगा कि वह काव्या को सिर्फ छात्रा की तरह नहीं देख पा रहा।
- काव्या
भी अर्जुन के लिए अलग भाव महसूस करने लगी थी।
- लेकिन
अर्जुन अपनी भावनाओं को दबा रहा था।
- उसे
लगता था उसकी जिम्मेदारियाँ उसके प्रेम से बड़ी हैं।
- उसने
अपने दिल को समझाया – “मैं नहीं… मुझे
नहीं…”
- पर
भावनाओं को कौन रोक पाया है?
- काव्या
अर्जुन से बात करने हर दिन उत्साहित रहती थी।
- उसकी
मुस्कान अर्जुन के दिल में जगह बनाने लगी थी।
⭐ 3 भाइयों की प्रेम कहानी – 2भाग
लाइन-बाय-लाइन निरंतर… अर्जुन ने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन दिल का रिश्ता बढ़ता ही गया।
92. हर दिन जब काव्या पढ़ने आती,
अर्जुन का मन शांत हो जाता।
93. काव्या की सरलता में एक जादू था,
जो अर्जुन को अपनी ओर खींच रहा था।
94. फिर भी अर्जुन खुद को रोककर एक शिक्षक की तरह ही रहने की कोशिश करता रहा।
95. दूसरी तरफ विवेक अपने खेतों में मेहनत कर रहा था।
96. उसका
दिन मिट्टी,
बीज और धूप में गुजरता था।
97. वह अपने
काम में खुश था,
लेकिन अकेला भी था।
98. उसे कभी लगा ही नहीं
कि प्रेम भी उसके जीवन का हिस्सा बनेगा।
99. लेकिन किस्मत की कहानी किसी को पहले से नहीं बताती।
100.
एक शाम खेत से लौटते वक्त विवेक ने देखा कि कुछ बच्चे किसी को उठाकर घर ले जा रहे थे।
101.
वह दौड़ा और पूछा,
“क्या हुआ?”
102.
बच्चों ने कहा – “दीदी खेत वाले रास्ते में गिर गईं।”
103.
विवेक उस लड़की को पहचानता भी नहीं था,
फिर भी उसने तुरंत मदद की।
104.
वह लड़की बेहोश थी।
105.
उसे अपने घर ले जाकर पानी पिलाया गया।
106.
थोड़ी देर में लड़की ने आँखें खोलीं।
107.
विवेक ने पूछा – “तुम ठीक हो?”
108.
लड़की धीमी आवाज में बोली – “हाँ…
बस चक्कर आ गया था।”
109.
विवेक ने पानी का गिलास उसे दिया।
110.
उसने गिलास लेते हुए हल्की मुस्कान दी।
111.
उसका नाम था मीरा।
112.
मीरा पहली बार गाँव आई थी और रास्ता थोड़ा कठिन होने से गिर पड़ी थी।
113.
विवेक को उसकी मासूमियत में कुछ अलग ही अपनापन महसूस हुआ।
114.
मीरा ने धन्यवाद कहा और गांव घूमने की इच्छा जताई।
115.
विवेक ने उसकी मदद की और उसे पूरा गाँव दिखाया।
116.
दोनों बात करते-करते काफी करीब आ गए।
117.
मीरा ने कहा – “आप बहुत अच्छे इंसान हैं।”
118.
विवेक ने पहली बार किसी की तारीफ़ सुनकर भीतर से मुस्कुराया।
119.
उसे पता ही नहीं चला कब वह मीरा के लिए ज्यादा महसूस करने लगा।
120.
इस तरह तीनों भाइयों की जिंदगी में तीन लड़कियाँ आ चुकी थीं —
121.
सूर्य के लिए अनन्या
122.
अर्जुन के लिए काव्या
123.
और विवेक के लिए मीरा
124.
लेकिन कहानी यहीं खत्म नहीं हुई,
असल मोड़ अभी बाकी था।
125.
एक दिन तीनों भाई घर की छत पर बैठे बातें कर रहे थे।
126.
सूर्य ने कहा – “किसी से प्यार करना बहुत अच्छा लगता है।”
127.
विवेक ने कहा – “मुझे भी लगता है…
जैसे दिल में फूल खिल गए हों।”
128.
अर्जुन चुप था।
129.
सूर्य ने अर्जुन को छेड़ा – “भाई,
तुम तो किसी को पसंद ही नहीं करते?”
130.
अर्जुन ने मुस्कुराकर कहा – “ऐसी बात नहीं…”
131.
विवेक ने तुरंत पूछा – “कौन है?”
132.
अर्जुन ने धीरे से कहा – “काव्या…”
133.
सूर्य और विवेक दोनों खुशी से चिल्लाए – “वाह! आखिरकार!”
134.
तीनों भाई हँसने लगे।
135.
लेकिन अचानक अर्जुन की आँखों में चिंता उतर आई।
136.
उसने कहा – “लेकिन…
मैं जिम्मेदारियाँ निभा रहा हूँ। मेरा प्रेम…”
137.
सूर्य ने कहा – “भाई,
जिम्मेदारियाँ प्रेम को नहीं रोकतीं।”
138.
विवेक ने कहा – “और हम तीनों साथ हैं,
हमेशा।”
139.
अर्जुन ने दोनों भाइयों को गले लगा लिया।
140.
अगले कुछ दिन बहुत खुशियों से भरे थे।
141.
सूर्य रोज अनन्या से मिलता था।
142.
उनकी दोस्ती अब प्रेम में बदल चुकी थी।
143.
अनन्या सूर्य से कहती – “तुम्हारी बातें दिल को सुकून देती हैं।”
144.
सूर्य उसकी आँखों में देखकर कहता – “तुम हो तो सब अच्छा लगता है।”
145.
अर्जुन काव्या को पढ़ाता,
लेकिन अब दोनों के बीच हल्की–हल्की भावनाएँ बहने लगी थीं।
146.
काव्या कभी किताब के बहाने अर्जुन की तरफ देखती रहती।
147.
अर्जुन उसके सवालों से ज़्यादा उसकी मुस्कान में खो जाता।
148.
विवेक और मीरा गाँव में साथ–साथ घूमते।
149.
खेतों की खुशबू में दोनों की हँसी घुल जाती थी।
150.
तीनों भाई अपने-अपने प्रेम में डूब चुके थे।
151.
पर ज़िंदगी हमेशा सीधी राह नहीं देती।
152.
एक शाम गाँव में बड़ा मामला हो गया।
153.
गाँव की चौपाल में सब लोग इकट्ठा हुए।
154.
किसी ने बताया कि पास के गाँव के कुछ लोग जमीन के झगड़े को बढ़ाने आ रहे हैं।
155.
माहौल तनावपूर्ण हो गया।
156.
तीनों भाइयों को भी गाँव वालों ने साथ आने के लिए बुलाया।
157.
अर्जुन आगे बढ़ा और बोला – “झगड़ा करना समाधान नहीं है।”
158.
विवेक ने कहा – “हम बात से भी हल निकाल सकते हैं।”
159.
सूर्य बोला – “हम सभी मिलकर शांतिपूर्वक हल ढूंढेंगे।”
160.
गाँव वाले उनकी बात मान गए।
161.
लेकिन विरोधी गाँव के लोग मानने को तैयार नहीं थे।
162.
बहस बढ़ती जा रही थी।
163.
तभी अचानक अनन्या वहाँ आ गई।
164.
उसने सूर्य को दूर से आवाज दी – “सूर्य!”
165.
सूर्य चौंक गया – “यहाँ कैसे?”
166.
अनन्या घबराई हुई थी – “मेरे पापा…
वो इस झगड़े वाले समूह में हैं।”
167.
सूर्य का चेहरा उतर गया।
168.
विवेक और अर्जुन भी चौंक गए।
169.
अनन्या ने कहा – “मेरे पापा को लगता है कि आपकी जमीन गलत है…”
170.
सूर्य ने कहा – “पर सच तो हमारे पास है!”
171.
अनन्या के पापा गुस्से में आकर बोले – “मैं अपनी बेटी का रिश्ता ऐसे घर में नहीं होने दूंगा!”
172.
यह सुनकर सूर्य का दिल टूट गया।
173.
अनन्या रो पड़ी – “पापा,
प्लीज़…”
174.
अर्जुन आगे आया और दस्तावेज दिखाए।
175.
उसने शांत आवाज में कहा – “हमारा हक़ सही है। झगड़ा करने से नुकसान ही होगा।”
176.
काव्या भी भीड़ में थी,
वह चिंतित होकर अर्जुन की तरफ देख रही थी।
177.
मीरा विवेक के पास खड़ी थी,
डर उसके चेहरे से साफ दिख रहा था।
178.
माहौल बहुत तनावपूर्ण हो गया था।
179.
तभी एक बुजुर्ग ने कहा – “हम सब एक ही इलाके के लोग हैं,
क्यों लड़ाई करें?”
180.
धीरे-धीरे बात शांत होने लगी।
181.
अनन्या के पिता ने दस्तावेज देखकर मान लिया कि सूर्य का परिवार सही है।
182.
लेकिन उन्होंने साफ कहा – “फिर भी मैं तुम्हारे रिश्ते को मंज़ूरी नहीं दूँगा।”
183.
सूर्य अंदर तक टूट गया।
184.
अनन्या भी रोते हुए चली गई।
185.
उस दिन तीनों भाई पहली बार इतने दुखी हुए थे।
186.
उनका प्रेम,
उनकी खुशियाँ — सब एक पल में बदल गया था।
187.
सूर्य कमरे में जाकर चुपचाप बैठ गया।
188.
विवेक ने उसे ढांढस बंधाया – “हम कुछ न कुछ जरूर करेंगे।”
189.
अर्जुन बोला – “सच्चा प्यार कभी हारता नहीं।”
190.
लेकिन किस्मत की आंधियाँ अभी रुकने वाली नहीं थीं…

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