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Dussehra 2025: History of Vijayadashami - दशहरा 2025: विजयदशमी का इतिहास, महत्व और भारत में उत्सव

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जानिए - दशहरा , विजयदशमी का इतिहास, रामायण और महिषासुर मर्दिनी कथा, भारत में विभिन्न परंपराएँ, सांस्कृतिक महत्व और आधुनिक स्वरूप। 📜 भाग 1 ✨ प्रस्तावना भारत विविधताओं का देश है जहाँ प्रत्येक पर्व अपने भीतर गहन सांस्कृतिक, धार्मिक और सामाजिक महत्व समेटे हुए है। इन पर्वों में दशहरा या विजयदशमी का विशेष स्थान है। यह पर्व न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह हमारे जीवन मूल्यों, आचार– विचार और समाज की एकता का भी प्रतीक है। दशहरा, जिसे विजयदशमी भी कहा जाता है, अश्विन मास की शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन भगवान श्रीराम ने रावण का वध कर धर्म की विजय और अधर्म का नाश किया था। यही कारण है कि इसे सत्य की असत्य पर विजय का पर्व कहा जाता है। इसके साथ ही, एक और पौराणिक कथा के अनुसार, माँ दुर्गा ने इसी दिन महिषासुर नामक असुर का संहार किया था। इस प्रकार यह दिन शक्ति और धर्म की विजय का प्रतीक है।

Ravana's last letter - मृत्यु शय्या से मानव समाज को दिए अमर उपदेश

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  📜 रावण का अंतिम पत्र – मृत्यु शय्या से मानव समाज के लिए संदेश प्रिय मानव समाज, आज मैं मृत्यु शय्या पर पड़ा हूँ। मेरी सांसें धीमी हो रही हैं, शरीर कमजोर पड़ चुका है और प्राण धीरे-धीरे साथ छोड़ रहे हैं। किंतु अनुभव और ज्ञान अब भी शेष है। जीवनभर मैंने सामर्थ्य, धन, वैभव और विद्या अर्जित की। मैंने त्रिलोक में अपनी शक्ति का परिचय दिया। मेरे पास वह सब था, जिसकी कल्पना कोई भी मनुष्य कर सकता है। परंतु आज, जब मृत्यु सामने खड़ी है, तो मुझे लगता है कि यह सब केवल मृगतृष्णा थी। मैं यह पत्र इसलिए लिख रहा हूँ ताकि मेरी गलतियों से तुम सब सीख सको। मैं चाहता हूँ कि जो भूल मैंने की, वह कोई और न दोहराए। मेरी असफलताओं, मेरे अहंकार और मेरे अपराधों से शिक्षा लो, ताकि तुम्हारा जीवन सच्चे अर्थों में सफल हो सके। 🌿 जीवन की सबसे बड़ी भूल – शुभ कार्य में विलंब मेरी पहली और सबसे बड़ी भूल यह रही कि मैंने धर्म के मार्ग को देर से पहचाना। जब श्रीराम मेरे सामने आए थे, तब भी मेरे पास अवसर था कि मैं उन्हें मित्र मान लूँ, सीता को लौटा दूँ और एक धर्मात्मा राजा के रूप में इतिहास में अमर हो जाऊँ। परंतु मैंने देर कर दी...