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The Shayari World Official — 300 Sad Shayari (Free to use)

The Shayari World Official

300 पंक्तियाँ • Sad Shayari • Free to use
Sad Shayari (300 Lines) तैयार: 15-08-2025
#1.
आँसू टूटी दहलीज़ पर टूटता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#2.
आँसू टूटी दिशाओं में सोता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#3.
आँसू तेरी याद में ढहता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#4.
आँसू तेरे जाने के बाद भीगता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#5.
आँसू तेरे जाने के बाद सोता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#6.
आँसू बेदर्द हवाओं में भीगता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#7.
आईना टूटी ख्वाहिशों में थकता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#8.
आईना टूटी दहलीज़ पर भीगता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#9.
आईना तेरे जाने के बाद डूबता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#10.
आईना मुरझाए फूलों में टटोलता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#11.
उम्मीद अनसुने गीतों में डूबता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#12.
उम्मीद आधी रात में सोता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#13.
उम्मीद खाली दरीचे पर घबराता हुआ, पर वक़्त वहीं ठहरा है।
#14.
उम्मीद खाली दरीचे पर भीगता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#15.
उम्मीद तेरी याद में बिखरता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#16.
उम्मीद तेरे जाने के बाद भटकता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#17.
उम्मीद थमी हुई प्यास में जागता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#18.
उम्मीद थमी हुई प्यास में भीगता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#19.
उम्मीद बंद किताबों में डूबता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#20.
उम्मीद बुझते दियों में सुलगता हुआ, पर वक़्त वहीं ठहरा है।
#21.
उम्मीद सर्द हवाओं में घबराता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#22.
उम्मीद सर्द हवाओं में सिसकता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#23.
उम्मीद सूने कमरे में जागता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#24.
क़दम अनसुने गीतों में टटोलता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#25.
क़दम टूटी ख्वाहिशों में सुलगता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#26.
क़दम टूटी दहलीज़ पर भीगता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#27.
क़दम बंद किताबों में जागता हुआ, पर वक़्त वहीं ठहरा है।
#28.
क़दम बुझते दियों में भटकता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#29.
क़दम रुके हुए लम्हों में थकता हुआ, हर दिन एक सदी जैसा लगता है।
#30.
काया खाली दरीचे पर सुलगता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#31.
काया खाली शहर में सिमटता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#32.
काया जर्द पत्तों में भीगता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#33.
काया टूटी ख्वाहिशों में भीगता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#34.
काया तेरी कमी में उमड़ता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#35.
काया तेरी कमी में चुप रहता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#36.
काया थमी हुई प्यास में घबराता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#37.
काया थमी हुई प्यास में सोता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#38.
काया बुझते दियों में रुकता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#39.
काया बेदर्द हवाओं में सोता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#40.
ख़त अनसुने गीतों में ढहता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#41.
ख़त खाली दरीचे पर खोता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#42.
ख़त खाली दरीचे पर जागता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#43.
ख़त खाली दरीचे पर सिसकता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#44.
ख़त खाली दरीचे पर सुलगता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#45.
ख़त तेरी कमी में चुप रहता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#46.
ख़त तेरी याद में सुलगता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#47.
ख़त तेरे जाने के बाद थकता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#48.
ख़त बंद किताबों में घबराता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#49.
ख़त सूने कमरे में भटकता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#50.
ख़ामोशी खाली शहर में थकता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#51.
ख़ामोशी टूटी दहलीज़ पर सोता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#52.
ख़ामोशी तेरी याद में भटकता हुआ, पर वक़्त वहीं ठहरा है।
#53.
ख़ामोशी तेरे जाने के बाद टटोलता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#54.
ख़ामोशी बंद किताबों में ढहता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#55.
ख़ामोशी मुरझाए फूलों में घबराता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#56.
खिड़की खाली दरीचे पर बिखरता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#57.
खिड़की जर्द पत्तों में रुकता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#58.
खिड़की तेरी कमी में खोता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#59.
खिड़की तेरे जाने के बाद टूटता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#60.
खिड़की बिछड़ने की शाम में खोता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#61.
खिड़की बिछड़ने की शाम में भटकता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#62.
खिड़की बिछड़ने की शाम में रुकता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#63.
खिड़की बिछड़ने की शाम में सिसकता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#64.
खिड़की रुके हुए लम्हों में बिखरता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#65.
खिड़की सर्द हवाओं में जलता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#66.
खिड़की सूने कमरे में टटोलता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#67.
चाँद टूटी दहलीज़ पर भीगता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#68.
चाँद बिछड़ने की शाम में भटकता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#69.
चाँद बुझते दियों में उमड़ता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#70.
चाँद बुझते दियों में ढहता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#71.
चाँद सर्द हवाओं में टटोलता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#72.
चिट्ठी आधी रात में खोता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#73.
चिट्ठी आधी रात में सिसकता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#74.
चिट्ठी खाली दरीचे पर भटकता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#75.
चिट्ठी खाली शहर में डूबता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#76.
चिट्ठी खाली शहर में भीगता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#77.
चिट्ठी टूटी दिशाओं में थकता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#78.
चिट्ठी टूटी दिशाओं में सिहरता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#79.
चिट्ठी बिछड़ने की शाम में खोता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#80.
चिट्ठी बिछड़ने की शाम में चुप रहता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#81.
चिट्ठी रुके हुए लम्हों में खोता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#82.
चिट्ठी रुके हुए लम्हों में रुकता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#83.
चिट्ठी सर्द हवाओं में सिमटता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#84.
चेहरा टूटी दिशाओं में डूबता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#85.
चेहरा टूटी दिशाओं में ढहता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#86.
चेहरा तेरी कमी में खोता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#87.
चेहरा तेरे जाने के बाद घबराता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#88.
चेहरा तेरे जाने के बाद सुलगता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#89.
चेहरा सूने कमरे में बिखरता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#90.
तन्हाई आधी रात में भटकता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#91.
तन्हाई खाली शहर में बिखरता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#92.
तन्हाई खाली शहर में रुकता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#93.
तन्हाई तेरी कमी में उमड़ता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#94.
तन्हाई तेरी कमी में सिसकता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#95.
तन्हाई तेरे जाने के बाद सिमटता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#96.
तन्हाई रुके हुए लम्हों में भीगता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#97.
तन्हाई सूने कमरे में बिखरता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#98.
दिल आधी रात में खोता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#99.
दिल खाली दरीचे पर खोता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#100.
दिल खाली शहर में जलता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#101.
दिल टूटी ख्वाहिशों में सिमटता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#102.
दिल टूटी दहलीज़ पर सोता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#103.
दिल तेरे जाने के बाद डूबता हुआ, हर दिन एक सदी जैसा लगता है।
#104.
दिल थमी हुई प्यास में भीगता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#105.
दिल बेदर्द हवाओं में खोता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#106.
दिल रुके हुए लम्हों में खोता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#107.
दीवार आधी रात में थकता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#108.
दीवार खाली शहर में जलता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#109.
दीवार टूटी ख्वाहिशों में जलता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#110.
दीवार टूटी दहलीज़ पर रुकता हुआ, हर दिन एक सदी जैसा लगता है।
#111.
दीवार टूटी दिशाओं में जागता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#112.
दीवार तेरी कमी में सुलगता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#113.
दीवार तेरी याद में जागता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#114.
दीवार बंद किताबों में बिखरता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#115.
दीवार बेदर्द हवाओं में टूटता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#116.
धड़कन अनसुने गीतों में बिखरता हुआ, पर वक़्त वहीं ठहरा है।
#117.
धड़कन जर्द पत्तों में जागता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#118.
धड़कन जर्द पत्तों में थकता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#119.
धड़कन थमी हुई प्यास में चुप रहता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#120.
धड़कन बंद किताबों में जलता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#121.
धड़कन बंद किताबों में थकता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#122.
धड़कन बंद किताबों में भटकता हुआ, हर दिन एक सदी जैसा लगता है।
#123.
धड़कन बुझते दियों में घबराता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#124.
धड़कन बुझते दियों में भटकता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#125.
धड़कन मुरझाए फूलों में सिहरता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#126.
धड़कन रुके हुए लम्हों में डूबता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#127.
धड़कन रुके हुए लम्हों में सिमटता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#128.
धुंध खाली दरीचे पर रुकता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#129.
धुंध खाली शहर में खोता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#130.
धुंध खाली शहर में सिहरता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#131.
धुंध टूटी दिशाओं में जलता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#132.
धुंध तेरी कमी में भीगता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#133.
धुंध तेरी याद में खोता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#134.
धुंध तेरी याद में भीगता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#135.
धुंध तेरी याद में सुलगता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#136.
धुंध तेरे जाने के बाद भीगता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#137.
धुंध सर्द हवाओं में जलता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#138.
नज़र आधी रात में भटकता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#139.
नज़र खाली शहर में चुप रहता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#140.
नज़र खाली शहर में टूटता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#141.
नज़र टूटी ख्वाहिशों में जागता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#142.
नज़र टूटी दिशाओं में थकता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#143.
नज़र तेरी याद में उमड़ता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#144.
नज़र तेरे जाने के बाद उमड़ता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#145.
नज़र तेरे जाने के बाद सिमटता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#146.
नज़र बंद किताबों में बिखरता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#147.
नज़र मुरझाए फूलों में रुकता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#148.
नज़र सर्द हवाओं में भटकता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#149.
नज़र सर्द हवाओं में सिहरता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#150.
परछाईं अनसुने गीतों में ढहता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#151.
परछाईं अनसुने गीतों में सुलगता हुआ, हर दिन एक सदी जैसा लगता है।
#152.
परछाईं आधी रात में डूबता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#153.
परछाईं आधी रात में थकता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#154.
परछाईं आधी रात में सिसकता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#155.
परछाईं खाली दरीचे पर सिसकता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#156.
परछाईं खाली शहर में बिखरता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#157.
परछाईं टूटी ख्वाहिशों में सुलगता हुआ, पर वक़्त वहीं ठहरा है।
#158.
परछाईं टूटी दिशाओं में सोता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#159.
परछाईं तेरी कमी में रुकता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#160.
परछाईं बंद किताबों में खोता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#161.
परछाईं बंद किताबों में भीगता हुआ, हर दिन एक सदी जैसा लगता है।
#162.
परछाईं रुके हुए लम्हों में चुप रहता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#163.
परछाईं रुके हुए लम्हों में टटोलता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#164.
परछाईं सर्द हवाओं में सुलगता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#165.
बादल अनसुने गीतों में भटकता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#166.
बादल खाली शहर में जलता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#167.
बादल जर्द पत्तों में सिमटता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#168.
बादल टूटी दिशाओं में सिहरता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#169.
बादल तेरी कमी में सिहरता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#170.
बादल बंद किताबों में जागता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#171.
बादल बंद किताबों में सोता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#172.
बादल बिछड़ने की शाम में उमड़ता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#173.
बादल बिछड़ने की शाम में भीगता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#174.
बादल बुझते दियों में डूबता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#175.
बादल रुके हुए लम्हों में घबराता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#176.
बादल सर्द हवाओं में चुप रहता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#177.
बादल सूने कमरे में खोता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#178.
बारिश खाली शहर में खोता हुआ, पर वक़्त वहीं ठहरा है।
#179.
बारिश खाली शहर में भीगता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#180.
बारिश जर्द पत्तों में बिखरता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#181.
बारिश टूटी दहलीज़ पर सिसकता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#182.
बारिश टूटी दिशाओं में टूटता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#183.
बारिश टूटी दिशाओं में सिसकता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#184.
बारिश तेरी कमी में खोता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#185.
बारिश तेरे जाने के बाद भीगता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#186.
बारिश थमी हुई प्यास में जलता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#187.
बारिश बंद किताबों में सिमटता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#188.
बारिश बिछड़ने की शाम में उमड़ता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#189.
बारिश बिछड़ने की शाम में सिसकता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#190.
बारिश बेदर्द हवाओं में खोता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#191.
बारिश बेदर्द हवाओं में रुकता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#192.
बारिश सर्द हवाओं में जागता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#193.
बारिश सर्द हवाओं में टटोलता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#194.
बारिश सूने कमरे में टूटता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#195.
मंज़िल जर्द पत्तों में थकता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#196.
मंज़िल थमी हुई प्यास में जागता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#197.
मंज़िल थमी हुई प्यास में सिमटता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#198.
मंज़िल बिछड़ने की शाम में सिहरता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#199.
मंज़िल मुरझाए फूलों में सुलगता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#200.
मंज़िल रुके हुए लम्हों में उमड़ता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#201.
मंज़िल रुके हुए लम्हों में सिसकता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#202.
यादें खाली शहर में सिसकता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#203.
यादें बिछड़ने की शाम में जागता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#204.
यादें बिछड़ने की शाम में बिखरता हुआ, हर दिन एक सदी जैसा लगता है।
#205.
यादें बिछड़ने की शाम में भटकता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#206.
यादें बेदर्द हवाओं में जागता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#207.
यादें बेदर्द हवाओं में रुकता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#208.
यादें मुरझाए फूलों में सिहरता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#209.
यादें रुके हुए लम्हों में ढहता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#210.
यादें सर्द हवाओं में जलता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#211.
रात जर्द पत्तों में खोता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#212.
रात टूटी दहलीज़ पर जलता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#213.
रात टूटी दिशाओं में ढहता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#214.
रात बंद किताबों में सिमटता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#215.
रात बिछड़ने की शाम में चुप रहता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#216.
रात बिछड़ने की शाम में चुप रहता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#217.
रात बिछड़ने की शाम में सुलगता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#218.
रात बुझते दियों में ढहता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#219.
रात रुके हुए लम्हों में घबराता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#220.
रात सर्द हवाओं में रुकता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#221.
रास्ता टूटी दहलीज़ पर ढहता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#222.
रास्ता टूटी दहलीज़ पर बिखरता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#223.
रास्ता टूटी दिशाओं में सिमटता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#224.
रास्ता मुरझाए फूलों में चुप रहता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#225.
रास्ता रुके हुए लम्हों में उमड़ता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#226.
रास्ता सूने कमरे में सिसकता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#227.
रूह जर्द पत्तों में डूबता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#228.
रूह टूटी ख्वाहिशों में बिखरता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#229.
रूह टूटी दिशाओं में सिहरता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#230.
रूह टूटी दिशाओं में सुलगता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#231.
रूह बंद किताबों में सिमटता हुआ, पर वक़्त वहीं ठहरा है।
#232.
रूह बुझते दियों में खोता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#233.
रूह बुझते दियों में जलता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#234.
रूह बेदर्द हवाओं में सिमटता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#235.
लब खाली दरीचे पर भटकता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#236.
लब टूटी ख्वाहिशों में उमड़ता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#237.
लब टूटी ख्वाहिशों में जागता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#238.
लब टूटी ख्वाहिशों में बिखरता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#239.
लब टूटी दिशाओं में सोता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#240.
लब थमी हुई प्यास में सिमटता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#241.
लब बेदर्द हवाओं में डूबता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#242.
लब बेदर्द हवाओं में ढहता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#243.
लब बेदर्द हवाओं में सिमटता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#244.
लब सर्द हवाओं में चुप रहता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#245.
वक़्त अनसुने गीतों में खोता हुआ, पर वक़्त वहीं ठहरा है।
#246.
वक़्त अनसुने गीतों में सिमटता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#247.
वक़्त खाली दरीचे पर डूबता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#248.
वक़्त खाली शहर में जलता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#249.
वक़्त टूटी ख्वाहिशों में सिमटता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#250.
वक़्त टूटी दहलीज़ पर टटोलता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#251.
वक़्त टूटी दहलीज़ पर रुकता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#252.
वक़्त टूटी दहलीज़ पर सोता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#253.
वक़्त तेरी याद में सिसकता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#254.
वक़्त तेरे जाने के बाद डूबता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#255.
वक़्त तेरे जाने के बाद सुलगता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#256.
वक़्त थमी हुई प्यास में रुकता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#257.
वक़्त बिछड़ने की शाम में टूटता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#258.
वक़्त बेदर्द हवाओं में सुलगता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#259.
वक़्त रुके हुए लम्हों में टूटता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#260.
वक़्त सूने कमरे में सोता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#261.
सन्नाटा आधी रात में टटोलता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#262.
सन्नाटा जर्द पत्तों में ढहता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#263.
सन्नाटा जर्द पत्तों में सोता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#264.
सन्नाटा टूटी ख्वाहिशों में भीगता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#265.
सन्नाटा टूटी दहलीज़ पर सोता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#266.
सन्नाटा तेरी याद में थकता हुआ, तू दूर है, मैं छूटा हूँ।
#267.
सन्नाटा तेरी याद में भीगता हुआ, तुझ बिन कोई सवेरा नहीं।
#268.
सन्नाटा थमी हुई प्यास में ढहता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#269.
सन्नाटा रुके हुए लम्हों में सोता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#270.
सफ़र अनसुने गीतों में जलता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#271.
सफ़र खाली शहर में डूबता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#272.
सफ़र टूटी दिशाओं में सुलगता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#273.
सफ़र तेरे जाने के बाद रुकता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#274.
सवेरा आधी रात में घबराता हुआ, आँखों में धुआँ सा उठता है।
#275.
सवेरा आधी रात में चुप रहता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#276.
सवेरा आधी रात में सुलगता हुआ, मुझे मेरी ही खबर नहीं।
#277.
सवेरा खाली दरीचे पर भटकता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#278.
सवेरा टूटी दिशाओं में रुकता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#279.
सवेरा बेदर्द हवाओं में जागता हुआ, सब कुछ होकर भी खाली हूँ।
#280.
सवेरा सर्द हवाओं में जलता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#281.
सवेरा सूने कमरे में जागता हुआ, आँखें समंदर बन जाती हैं।
#282.
साँसें खाली शहर में जलता हुआ, खालीपन से लिपट जाता हूँ।
#283.
साँसें जर्द पत्तों में रुकता हुआ, पर तेरा पता नहीं मिलता।
#284.
साँसें तेरी याद में जलता हुआ, बस एक सिसकी रह जाती है।
#285.
साँसें बिछड़ने की शाम में जागता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#286.
साँसें रुके हुए लम्हों में थकता हुआ, तेरे बिना जीते जी मरता हूँ।
#287.
साँसें सर्द हवाओं में घबराता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#288.
साँसें सर्द हवाओं में सोता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#289.
साँसें सर्द हवाओं में सोता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#290.
साया अनसुने गीतों में टटोलता हुआ, हर मोड़ पे तू ही तू है।
#291.
साया खाली दरीचे पर जलता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।
#292.
साया खाली दरीचे पर डूबता हुआ, खुद से ही हार जाता हूँ।
#293.
साया खाली शहर में चुप रहता हुआ, दर्द से बातें करता हूँ।
#294.
साया खाली शहर में ढहता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#295.
साया टूटी दहलीज़ पर रुकता हुआ, हर दिन एक सदी जैसा लगता है।
#296.
साया बिछड़ने की शाम में रुकता हुआ, दिल राख होकर भी जलता है।
#297.
साया बुझते दियों में टूटता हुआ, सपनों के कंधे गिरते हैं।
#298.
साया बेदर्द हवाओं में घबराता हुआ, मैं आज भी तुझको ढूँढ़ता हूँ।
#299.
साया मुरझाए फूलों में रुकता हुआ, खामोशियों का घर हो गया।
#300.
साया सूने कमरे में थकता हुआ, तेरे नाम का दीप जलता है।

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