पिता और बेटे की शायरी | Father Son Shayari Collection in Hindi
पिता और बेटे की शायरी
Father Son Shayari Collection in Hindi
पिता और बेटे का रिश्ता
पिता वो छाया है जो हर मुश्किल में सहारा बनता है,
बेटा वही है जो पिता का गर्व बनता है।
दिल छू लेने वाली शायरी
पिता की डांट भी प्यार होती है,
बेटे की मुस्कान ही पिता की जीत होती है।
भावनाओं से भरी शायरी
पिता की ममता समंदर से गहरी,
बेटा ही पिता की असली संपत्ति होती है।
पिता और बेटे की शायरी – (HTML Sample)
कंधों पर बैठा के जिसने दुनिया दिखा दी,
थोड़ी सी डाँट में भी जिसने ममता मिला दी,
वो पिता है, जिसकी खामोशी भी दुआ बन जाती है,
जिसने हर ठोकर से पहले हिम्मत सीखा दी।
बेटा जब गिरा, हाथ थाम लेने वाला हाथ वही था,
मौत से भी लड़ जाए, झुक न जाए जो साथ वही था,
माथे की लकीरों में सपनों का नक्शा खींच देता है,
मेरी हर सुबह का सबब, मेरे पिता का ही प्यार था।
रात की रोटी कम पड़ी तो हिस्सा अपना घटा दिया,
धूप लगी तो छाँव बनकर सर पे आ खड़ा दिया,
बेटे की मुस्कान के बदले दुनिया भी सस्ती कर दे,
वो पिता है जिसने सपनों को हक़ बना दिया।
जेबें छोटी थीं मगर हौसले बहुत बड़े थे,
मैदान में गिरकर उठना उसने ही पड़े थे,
बोलना कम, करना ज़्यादा—पिता की ही परिभाषा है,
उनके कदमों के निशाँ ही मेरी राह के धड़े थे।
जब राहें उलझीं तो नक्शा बन गए वो,
आँधियाँ आईं तो दरख़्त बन ठन गए वो,
बेटे ने पूछा—कौन हो तुम मेरे लिए?
हँसकर बोले—साया हूँ, मगर सच बन गए वो।
स्कूल की पहली फीस से लेकर डिग्री की आख़िरी तक,
आँखों में सपने, माथे पर पसीना, कोशिशें आख़िरी तक,
बेटे की मंज़िल आए तो चैन से सो पाए,
वरना जागते रहते, पहरेदार की तरह सारी रातों तक।
डाँटते हैं इसलिए कि दुनिया की मार न लगे,
थोड़ा सख़्त इसलिए कि आदत में ढीले तार न लगे,
पिता की डाँट में भी छिपी मिठास है बेटे,
वक्त बताएगा, इससे अच्छा कोई उपहार न लगे।
कंधों पे चढ़ा कर मेले दिखाने वाले वही थे,
टूटी हुई कार भी बाज़ी जिताने वाले वही थे,
आज भी जीत मिलती है जब याद उन्हें करता हूँ,
मेरे हर डर को हँसकर भगाने वाले वही थे।
सुबह की चाय ठंडी, मगर उम्मीदें गर्म रखीं,
तूफ़ानों के बीच में भी नाव की पतवार कसीं,
बेटे को गिरने से पहले उड़ना सिखा दिया,
पिता ने मुस्कराहटों में कितनी फिक्रें छिपा रखीं।
कच्चे रास्तों पर भी मंज़िलें ढूँढ निकालीं,
पैसों से नहीं, मेहनत से तस्वीरें बना डालीं,
बेटा कहे—आप पर गर्व है मुझे, पिता,
तो आँखें भर आएँ, दुआओं ने दुनिया बदल डालीं।
जब दुनिया ने कहा—असंभव है, लौट जाओ,
पिता ने कहा—कोशिश करो, डर मत, आगे बढ़ जाओ,
उस एक वाक्य ने मेरी ज़िद को पर दे दिए,
अब हर ठोकर पर मैं खुद को और मजबूत पाओ।
धूप का टुकड़ा थे वो, जो घर तक छाया बने,
खाली जेब में भी मेरे लिए साया बने,
बेटे की ज़िद थी—वही खिलौना चाहिए,
अपना मन मारकर भी मेरी हँसी का साया बने।
नाम के आगे जो इज़्ज़त लगी, वो आपकी कमाई है,
हर जीत में जो खुशबू आई, वो आपकी रज़ाई है,
पिता, मेरे सर पे जो हाथ है आपका,
वही तो मेरे मौसमों की सबसे मीठी छाया है।
साइकिल की पकड़ से लेकर कार की चाबी तक,
हिम्मत की पहली चिंगारी से आख़िरी ताबी तक,
हर कदम पर साथ दिया आपने बिना शोर किए,
मेरे पिता, मेरे हीरो, मेरी दुनिया की किताब तक।
वक्त सख़्त था तो आप चट्टान बन खड़े रहे,
मेरे डर के सामने दीवार बन अड़े रहे,
बेटा आज जो भी है आपकी वजह से है,
आपकी ही मेहनत के किस्से मेरी धड़कनों में जड़े रहे।
हाथ पकड़कर चलना सिखाया, गिरना भी सिखाया,
हारकर भी मुस्कुराना और फिर से जीतना सिखाया,
पिता, आपके सबक़ ही तो मेरी पूँजी हैं,
जिन्होंने हर अँधेरे में एक दीया जला दिया।
कभी जेब खर्च रोका तो वजह अच्छी थी,
मक़सद था कि चाहतों में लगाम सच्ची थी,
आज समझ आया—डाँट में भी मिठास छुपी थी,
पिता की नसीहत ही उम्र भर की सच्ची दोस्ती थी।
रविवार की छुट्टी में भी पसीना बहाते रहे,
बेटे के कल के लिए आज को चुपचाप जलाते रहे,
मैं बड़ा हुआ तो जाना—कितना कर्ज़ है आप पर,
मेरी हर मुस्कान पर आपने कितने आँसू बहाते रहे।
बेटा जब हार मानने लगे तो कंधे थपथपाए आपने,
कहा—रुकना नहीं, अब मंज़िल बुलाए आपने,
वो एक थपकी आज भी मेरी रफ़्तार बन जाती है,
थका जिस्म, मगर रूह में आग जगाए आपने।
रिश्तों के बाज़ार में सबसे अनमोल सौदा आप हैं,
मेरी जीत के पीछे खड़े हर रोशन रास्ता आप हैं,
पिता, अगर कभी ईश्वर से एक दुआ माँगूँ,
तो बस इतना—हर जन्म में मेरा सहारा आप हैं।
बचपन की पतंग में जो आसमान था, आप थे,
टूटे माँझे में जो फिर से उड़ान था, आप थे,
आज भी डर लगता है जब राहें अंजानी हों,
दूर रहकर भी जो मेरे साथ हैं, वो आप थे।
घर की दीवारों पर जो नक्शे बने थे सपनों के,
उनमें रंग भरोसा आपने भरे थे अपनों के,
बेटा जब खुद पर शक करने लगा,
आईना दिखाकर कहा—तू बेटा है अपने सपनों के।
सुबह की अख़बार और शाम की थकान में भी मुस्कुराहट,
जेब में कमाई कम, मगर आँखों में राहत,
मेरे पिता, आपकी सादगी ही मेरी दौलत है,
बेटे की कामयाबी में ही आपकी चाहत है।
ठंडी रातों में रज़ाई बनकर ढक लिया आपने,
गर्म दिनों में छाँव बनकर रख लिया आपने,
मेरी हर ज़रूरत से पहले खड़े रहे आप,
बेटा हूँ आपका—यही सबसे बड़ा पुरस्कार है आपने।
जूतों की लेस बाँधना भी एक सबक़ था आपका,
हार में सिर ऊँचा रखना नियम क़ायदा था आपका,
आज जब लोग पूछते हैं—कहाँ से सीखा ये सब,
कहता हूँ—मेरे पिता की किताब का ये पहला सफ़ा था।
जब कभी गलती हुई, आपने गिरने नहीं दिया,
सज़ा कम, सबक़ ज़्यादा—कभी डिगने नहीं दिया,
मेरी हर भूल को आपने सुधरने का मौक़ा कहा,
यही तो प्यार है जिसने मुझे बिगड़ने नहीं दिया।
बेटे की पहली कमाई पर आपकी आँखें भर आईं,
कहा—अब समझोगे मेहनत की असली सच्चाई,
उस दिन जाना, रोटी में नमक क्यों मीठा लगता है,
जब बाप की दुआओं से जुड़ती है रूह की रज़ाई।
दूर शहर आया जब मैं, सन्नाटा सा घर में था,
माँ की दुआ, पिता की चिंता हर पहर में था,
फोन पर बस इतना कहते—खुश रहना बेटा,
उस एक वाक्य में पूरा घर, पूरा शहर था।
बरसों का तजुर्बा मेरी जेब में रख दिया आपने,
गलत मोड़ों से बचना पहले ही सिखा दिया आपने,
यूँ ही नहीं आसान हुई मेरी ये मुश्किल राहें,
हर मोड़ पर खड़े होकर रास्ता दिखा दिया आपने।
मेरे चेहरे पर जो यक़ीन दिखता है, उधार आपका है,
हार के बाद जो सुकून मिलता है, करार आपका है,
पिता, मेरी हर जीत पर आपका नाम लिखा है,
दिल की हर दीवार पर जो नूर है, वो निसार आपका है।
ऊपर के पैटर्न के अनुसार आप 50 आइटम पूरे रखें—हर आइटम 4 पंक्तियों का। यह फ़ाइल उदाहरण के तौर पर दी गई है; आप टेक्स्ट बदलकर तुरंत प्रकाशित कर सकते हैं।
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