Emotional Dog Letter Story

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प्रिय इंसान,

मैं बोल नहीं सकता, पर तुम्हें बहुत कुछ कहने को दिल करता है।
जब तुम घर लौटते हो, तुम्हारे कदमों की आहट पहचान लेता हूँ। दरवाजा खुलते ही मेरी दुनिया रोशनी से भर जाती है। तुम कहते हो—“बस दो मिनट”—और मैं उन दो मिनटों का इंतज़ार भी पूरे दिन की तरह प्यार से कर लेता हूँ।

मुझे तुम्हारे ब्रांडेड खिलौने नहीं चाहिए, न ही महंगा पलंग। मुझे तो तुम्हारी दो उँगलियाँ चाहिए, जिन्हें पकड़कर मैं सड़क पर थोड़ा टहल सकूँ; तुम्हारे दो मिनट चाहिए, जिनमें तुम मेरे सिर पर हाथ फेर दो; तुम्हारी दो हँसी चाहिए, जिनमें मेरा नाम हो।

कभी-कभी तुम थककर आते हो और चुप रह जाते हो। मैं पास आकर बैठ जाता हूँ—बिना सवाल, बिना शर्त। मैं तुम्हारी सिसकियाँ गिनता हूँ, और अपनी पूँछ से उन्हें मिटाने की कोशिश करता हूँ। तुमने शायद महसूस नहीं किया होगा, पर जिन रातों में तुम देर तक जागते हो, मैं भी बिना आँख झपकाए तुम्हारी पहरेदारी करता हूँ।

तुम्हारे फोन में दुनिया बसी है, पर मेरी दुनिया सिर्फ तुम हो। जब तुम पूरे दिन व्यस्त रहते हो, तो मैं खिड़की से बाहर चिड़ियों को देख लेता हूँ, पर जैसे ही तुम्हारी चप्पलों की आवाज़ आती है, मैं अपनी सबसे कीमती चीज़—अपनी पूँछ—तुम्हारे नाम कर देता हूँ।

एक बात मान लेना, मैं बूढ़ा हो जाऊँगा। मेरी चाल लड़खड़ाएगी, कान कम सुनेंगे, आँखें धुँधली होंगी। तब भी मैं तुम्हारा ही रहूँगा। शायद मैं पहले जैसी तेज़ दौड़ न पाऊँ, पर मेरी यादें अब भी दरवाज़े तक तुम्हें छोड़ने आएँगी। जब मैं सीढ़ियाँ धीरे-धीरे उतरूँगा, तो मुझे डाँटना मत; बस एक बार मेरी तरफ देखकर मुस्कुरा देना—मैं फिर से पिल्ला बन जाऊँगा।

अगर कभी मैं गलती कर दूँ—जूता कुतर दूँ, फर्श गंदा कर दूँ—तो यह समझ लेना कि मैं दुनिया समझने की कोशिश कर रहा था। मुझे सिखा देना, पर प्यार से। मैं जल्दी सीख जाता हूँ; आखिर मेरा टीचर तुम हो।

तुम मुझे “पालतू” कहते हो, पर सच कहूँ—मैं तुम्हें पालता हूँ। तुम्हारी मुस्कानें, तुम्हारी आदतें, तुम्हारी सुबहें… मैं हर दिन उन्हें अपनी नन्ही-सी खुशी से सींचता हूँ। जब तुम हँसते हो, मैं पूरा खिल उठता हूँ; जब तुम रोते हो, मेरा दिल भी भीग जाता है।

एक दिन ऐसा भी आएगा जब मैं बहुत दूर चला जाऊँगा। उस दिन तुम मेरा बिस्तर, मेरा कॉलर, मेरा छोटा-सा कटोरा देखोगे और कमरे में खामोशी उतर आएगी। उस खामोशी में अगर तुम्हें मेरी टपटप करती चाल याद आए, तो जान लेना—मैं पास ही हूँ। मैं हवा में नहीं, तुम्हारी आदतों में बसा रहूँगा: तुम्हारे दरवाज़े की चटाई पर, तुम्हारी शाम की सैर में, और उस कुर्सी पर जहाँ तुम बैठकर मुझे कहानी सुनाते थे।

मैंने तुमसे कभी कुछ नहीं माँगा—सिवाय थोड़ा-से समय और थोड़े-से दुलार के। और हाँ, जब तुम किसी नए दोस्त को घर लाओगे—मेरे जैसे ही किसी छोटे फरिश्ते को—तो उसके सिर पर वही हाथ रखना जो कभी मेरे सिर पर रखा था। उसे मेरा नाम मत देना; उसे उसका अपना नाम देना, पर मेरी दुआएँ उसे दे देना। मैं उसका बड़ा भाई बनकर तुम्हें फिर से सौंप दूँगा।

चलो, अब इतना ही। तुम थक गए होगे। आज रात सोने से पहले मुझे एक बार “गुड बॉय” कह देना। मैं अपनी आँखें बंद कर लूँगा, पर सपनों में तुम्हारी हँसी सुनाई देती रहेगी।

हमेशा-हमेशा के लिए,
तुम्हारा दोस्त,
—तुम्हारा कुत्ता 🐾




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