भगवान वाला सायरी
भगवान वाली शायरी (Bhagwan Wali Shayari in Hindi)
The Shayari World Official
नोट: यह संग्रह मौलिक, यूनिक और कॉपीराइट-फ्री है — आप इसे अपने ब्लॉग/व्लॉग में निःसंकोच उपयोग कर सकते हैं। नीचे 250 पंक्तियाँ दी गई हैं जो भक्ति, विश्वास और सकारात्मकता से प्रेरित हैं।
🙏 250 भक्ति पंक्तियाँ (God Shayari Lines)
- ईश्वर की राह पर चलो, राह खुद रोशन हो जाएगी।
- मन शांत हो तो ईश्वर की आहट साफ़ सुनाई देती है।
- प्रभु का नाम जीवन की सबसे मीठी धुन है।
- भक्ति वो दीपक है जो आँधियों में भी जलता है।
- जहाँ विश्वास है, वहाँ चमत्कार है।
- दुआ से पहले नीयत, नीयत से पहले श्रद्धा।
- ईश्वर देर से देता है, पर देता सबसे बेहतर है।
- जो भगवान को याद रखे, उसे कोई कमी नहीं सताती।
- कर्म पूजा है, और पूजा ही परम सुख।
- आस्था हो तो पत्थर भी पार लगाते हैं।
- राम का नाम, हर काम आसान।
- कृष्ण की बाँसुरी, मन के शोर को मौन करती है।
- शिव की ताण्डव लय में संसार का रहस्य है।
- माँ दुर्गा की कृपा से भय भाग जाता है।
- साईं के दर पर सब मनोकामनाएँ सुन ली जाती हैं।
- गुरु की छाया में जीवन का सच मिलता है।
- अल्लाह की रहमत से सूना दिल भी खिल उठता है।
- वाहेगुरु का नाम, हौंसला बन जाता है।
- ईसा मसीह का प्रेम, क्षमा का पाठ सिखाता है।
- बुद्ध की वाणी, शांति का सेतु है।
- प्रभु के आगे झुके माथे को हार नहीं मिलती।
- जपे जाने वाले नाम में अनगिनत ताक़तें बसती हैं।
- भक्ति का सागर जितना गहरा, उतनी उजली लहर।
- ईश्वर की लीला समझ आए, तब अहंकार मिट जाए।
- मंत्र कम, मन सच्चा — यही सच्ची आराधना।
- प्रसाद में मिठास, प्रसन्नता का संदेश।
- घंटियों की ध्वनि, मन के मैल को धो देती है।
- दीया छोटा हो सकता है, पर अँधेरा बड़ा नहीं रहता।
- भक्त का आँसू, प्रभु की पूजा का गंगाजल है।
- जहाँ नम्रता है, वहाँ भगवान का वास है।
- हर सुबह आरती, हर शाम कृतज्ञता।
- सच्चे कर्म, सच्ची पूजा।
- विपत्ति में स्मरण, समृद्धि में धन्यवाद।
- ईश्वर की मर्ज़ी में ही सच्ची मस्ती है।
- निराशा के रेगिस्तान में भक्ति नखलिस्तान है।
- प्रभु के नाम से कठिनाइयाँ पिघल जाती हैं।
- माँ के चरणों में ईश्वर का एहसास मिल जाता है।
- हर धड़कन में एक छुपा हुआ मंत्र है।
- कर्मयोग ही भगवद्गीता का निचोड़ है।
- कर्म कर, फल प्रभु पर छोड़।
- भक्ति बिना ज्ञान अधूरा, ज्ञान बिना भक्ति सूना।
- हर रोटी में प्रभु का प्रसाद बाँटो।
- दुख तकलीफ़ नहीं, ईश्वर की सीख है।
- शरण में आओ, शांति पाओ।
- हर नाम में भगवान, हर काम में भगवान।
- सांस-सांस में स्मरण, यही सच्चा ध्यान।
- स्वरगों से मीठा है, ईश्वर में भरोसा।
- तेरा सहारा प्रभु, मेरा किनारा प्रभु।
- अहम छोड़ो, परम को जोड़ो।
- ईश्वर को पाने का सबसे आसान रास्ता: सेवा।
- भक्ति का वृक्ष, धैर्य की मिट्टी में पनपता है।
- मन के मंदिर को स्वच्छ रखो।
- जब ईश्वर साथ, तो कौन विरुद्ध।
- कृपा बरसे तो कर्म भी खिल उठते हैं।
- नाम स्मरण, मन का विमल करण।
- पैर मंदिर न पहुँचें, मन पहुँचे — वही काफी।
- भक्ति में बँधे दिल बिखरते नहीं।
- ज्योत जले तो भय हटे।
- करुणा ही ईश्वर का दूसरा नाम।
- हर चेहरा ईश्वर का दर्पण है।
- श्रद्धा से बड़ा कोई आभूषण नहीं।
- भक्ति के आँसू, मोती बन जाते हैं।
- सच्चाई का साथ, भगवान का हाथ।
- तू दे दरियादिली, वो दे देगा मंज़िल।
- वही काबा, वही काशी — प्रेम जहाँ हो।
- मौन में भी प्रभु का संदेश गूँजता है।
- रहमत बरसी, जब नीयत तरसी।
- कर्म ही पूजा, पूजा ही शांति।
- जो बाँटता है, वही पाता है।
- न्यौछावर कर दे चिंता, विश्वास उठा लेगा।
- संगत अच्छी हो, तो संग्राम भी सरल हो।
- जितना झुकोगे, उतना ऊपर उठोगे।
- भक्ति की धुन पर जीवन नाचे।
- हर संकट में प्रभु के संकेत होते हैं।
- कर्म-पथ पर चलो, ईश्वर-पथ दिखेगा।
- तुम भरोसा रखो, वो व्यवस्था करेगा।
- हर दुख में छुपा है दैवीय उद्देश्य।
- ना मैं, ना मेरा — सब तेरा।
- संयम ही साधना का शृंगार।
- प्रेम से बढ़कर कोई तीर्थ नहीं।
- जप-तप से पहले मानव-सेवा।
- हौसले को हर रोज़ प्रसाद दो।
- भक्ति की राह पर थकान भी विश्राम बनती है।
- द्वार वही खोलो, जहाँ दुआएँ मिलें।
- ईश्वर के हिसाब में देरी है, अंधेरी नहीं।
- हर हार में उसकी जीत का बीज होता है।
- तेरा साथ है तो राहें आसान हैं।
- जब मन डगमगाए, नाम थाम ले।
- कर्म की नाव, कृपा की धार।
- नज़र झुकी रहे, नसीब उठते रहें।
- अभिमान हटाओ, भगवान पाओ।
- सांसें गिनना छोड़ो, अवसर गिनो जो वो देता है।
- जो मिला, कृपा; जो नहीं मिला, शिक्षा।
- भरोसे का दीपक कभी बुझता नहीं।
- जो सच्चा साधक है, वही सच्चा विजेता है।
- हर कल्याण का सूत्र, करुणा।
- आँसू रुके नहीं, तो आशीष बन गए।
- विपदा परीक्षा है, दण्ड नहीं।
- जहाँ प्रेम, वहीं परमात्मा।
- श्रद्धा का आकाश, संदेह की धरती से ऊँचा।
- जो जैसा बोए, वैसी दैवीय फसल।
- दूसरों की पीड़ा समझना ही पूजा।
- कर्मठ बनो, भाग्य खुद झुकेगा।
- हर सुबह नया प्रसाद, नई शुरुआत।
- माता-पिता की सेवा, परम देव-सेवा।
- सुख बाँटो, दुःख घटे।
- सच्ची आराधना: धन्यवाद कहना।
- माफी माँगो, मन निर्मल होगा।
- धैर्य रखो, दिशा दिखेगी।
- मंज़िल से पहले मंज़िल का मालिक याद।
- जो रचयिता है, उसी पर भरोसा है।
- राग नहीं, अनुराग चाहिए।
- ईश्वर का घर दूर नहीं, भीतर है।
- शांति, शक्ति, समर्पण — तीन स्तंभ।
- भक्ति की भाषा, दिल की मातृभाषा।
- सच्चा उपवास: बुरे विचारों से दूर रहना।
- कामना कम करो, कृतज्ञता बढ़ाओ।
- अधिक बोलने से बेहतर है अधिक जप।
- कर्म से ही कंचन बनता जीवन।
- जो कटु है, छोड़ दो; जो सत्व है, जोड़ लो।
- वह सुनता है जो मन की आवाज़ है।
- साहस भी उसकी देन है।
- हर क्षण, हर श्वास उसकी कृपा।
- झूठ से दूर, ईश्वर के पास।
- सादा जीवन, उच्च विचार — भक्ति का आधार।
- जो डरा नहीं, वही सच्चा भक्त।
- कृपा के आगे किस्मत भी झुकती है।
- रात लंबी हो तो जप लंबा कर लो।
- भक्ति का अमृत, चिंता का विष हरता है।
- धूप-छाँव में भी नाम की छाया।
- प्रेम का दीप, नफ़रत की आँधी से ऊँचा।
- हर द्वेष का अंत, दया से।
- भजन में खो जाओ, भ्रम छूट जाएगा।
- माथे की रेखाएँ, करुणा से सम हो जाती हैं।
- तू साथ तो मैं भी साधक।
- वह रखवाला, मैं राह वाला।
- रेशमी राह नहीं, दृढ़ विश्वास चाहिए।
- मोक्ष की कुंजी: मोह का त्याग।
- आँखें बंद हों तो भी राह दिखती है।
- हर हर महादेव — साहस का उद्गम।
- जय श्री राम — मर्यादा का मंत्र।
- राधे राधे — प्रेम का मधुर रस।
- जय माता दी — शक्ति का स्रोत।
- साईँ राम — सादगी की सीख।
- वाहेगुरु — सेवा का प्रकाश।
- अल्लाह-ओ-अकबर — अमन की राह।
- ओम शांति — अंतर-शांति का स्वर।
- प्रभु की लीला अपरम्पार।
- तुम चलो, वो सँभालेगा।
- नियति उसकी, नियामक वही।
- भिक्षा नहीं, भक्ति माँगो।
- मुस्कान भी प्रसाद है।
- जो गिरा, कृपा से उठा।
- जो मिला, जितना मिला, पर्याप्त मिला।
- रोज़ थोड़ा सा बेहतर — यही साधना।
- वह गुरु, वह गंतव्य।
- शरणागत का उद्धार निश्चित।
- खाली हाथ गए थे, खाली हाथ जाएँगे — बीच का समय सेवा में।
- प्रेम का व्रत, जीवन भर।
- वह अनादि, अनंत, अनाम।
- सच्चे इरादे, सच्चे नतीजे।
- माया में फँसना नहीं, माया का उपयोग करना।
- निंदा से दूर, निवृत्ति की ओर।
- हर उपालम्भ का उत्तर, उपकार।
- जो बाटे, वह बढ़े — प्रेम भी, प्रसाद भी।
- आत्मा का दर्पण, ध्यान।
- अंतर्यामी सब जानता है।
- अभाव में भी आभार।
- लाभ से ज़्यादा लाज़ — मर्यादा।
- सच्ची तसल्ली, उसकी रज़ा में।
- हर शंका का शमन, सत्संग।
- कर्म की खेती, कृपा की बारिश।
- उम्मीद की लौ, भक्ति से दीप्त।
- जिसे कोई न देखे, प्रभु देखता है।
- अपमान सहना भी तप है।
- दूसरों को उठाओ, खुद ऊपर उठोगे।
- वह साथ, हर साँस के साथ।
- चर्चा कम, चर्या अधिक।
- हाथ जुड़े रहें, मन जुड़े रहेगा।
- जो टूटता है, वही जुड़ना सीखता है।
- दिल से पुकारो, द्वार खुलेंगे।
- अच्छाई की राह, ईश्वर की चाह।
- आलस त्यागो, आराधना जागो।
- स्वार्थ घटाओ, सौभाग्य बढ़ाओ।
- धन नहीं, धर्म चाहिए।
- संसार में रहो, पर संसार मन में न लाओ।
- अकेले हो तो नाम साथ रखो।
- समय की कमी नहीं, समर्पण की कमी होती है।
- त्याग जितना, आनंद उतना।
- वैराग्य में विषाद नहीं, विश्राम है।
- मंत्र नहीं याद? एक शब्द काफी — प्रेम।
- भक्ति की हवा, मन के बादल हटाती है।
- प्रभु-इच्छा में ही सुकून।
- हर दिन नई कृपा-कथा।
- द्वीप की तरह स्थिर रहो, तरंगें थम जाएँगी।
- वो देता है, जितना हम सँभाल सकें।
- वाणी में मधुरता, कर्म में नम्रता।
- सेवा से श्रेष्ठ कोई साधना नहीं।
- जो मिला नहीं, शायद उससे बेहतर आने वाला है।
- करुणा का प्रसार करो, कलह घटेगा।
- जब सब चुप, तब मन का नाम बोलता है।
- ईश्वर का भरोसा, भय का उपचार।
- अंतर्मन में आरती जलती रहे।
- माँ की ममता, प्रभु की प्रतिमा।
- संतोष सबसे बड़ा खज़ाना।
- हर श्वास, धन्यवाद।
- जो तेरा नहीं, उसे छोड़; जो उसका है, उसे जोड़।
- पाप से घृणा, पापी से नहीं — यही दिव्यता।
- भ्रम टूटे तो सत्य दिखे।
- अंधेरों को कोसो मत, दीप बनो।
- जो देरी लगे, उसे तैयारी समझो।
- दृढ़ रहो, दयालु रहो, दिव्य रहो।
- परहित में परमहित।
- सत्संग की धूल भी पुण्य है।
- मौन में मनन, मनन में मिलन।
- वो कण-कण में, मन-मन में।
- याद रखो: यह भी बीत जाएगा।
- जो तू चाहे, वही मैं चाहूँ — यही समर्पण।
- भक्ति का फल शांति, शांति का फल आनंद।
- अंतर की आवाज़, ईश्वर की ध्वनि।
- नम्रता से बड़ा कोई तप नहीं।
- रोज़ थोड़ा पढ़ो, रोज़ थोड़ा जपो, रोज़ थोड़ा बाँटो।
- हँसी प्रभु की सबसे प्यारी आरती है।
- जो जोड़े, वही प्रभु के करीब।
- वह पास है, बस पास आने की देर है।
- मन के मंदिर में द्वेष नहीं टिकता।
- मंज़िल का नहीं, मंज़िल के मालिक का सहारा लो।
- दूरियाँ मिटती हैं, जब दुआएँ मिलती हैं।
- धड़कनों की माला, नाम के मनके।
- फल की चिंता छोड़ो, फलदायक बनो।
- कठोर वचन त्यागो, कोमल बनो।
- वह दाता, हम याचक — पर प्रेम समान।
- मन को मोक्ष चाहिए, देह को मर्यादा।
- आँधी में भी अगरबत्ती की तरह सुगंधित रहो।
- जीवन एक यज्ञ है, आहुति बने अहंकार।
- हर आशीर्वाद का उत्तर — सेवा।
- जो रास्ता दिखे नहीं, वहाँ नाम ही दिशा है।
- ईश्वर की नज़र से देखो, सब अपनों जैसे लगेंगे।
- वह जितना ले, उससे ज़्यादा सिखा देता है।
- जो है, जैसे है — स्वीकारना ही शांति।
- उद्देश्य पावन हो, उपक्रम सफल होगा।
- छोटी-छोटी जीतों का श्रेय उसे।
- मन की मिट्टी में विश्वास बोओ।
- दुख बाँटो, पर हिम्मत मत बाँटो — वह बढ़ती है।
- प्रेम की भाषा हर देवालय में बोली जाती है।
- वह अदृश्य है, पर अनुभूति दृश्यमान।
- जो भय दे, उसे छोड़; जो भरोसा दे, उसे थाम।
- जीवन की नाव में दया का पतवार।
- रोज़ एक शुभ कर्म — यही साधना।
- सपनों से पहले संस्कार।
- शुचिता ही श्रेष्ठता।
- माफ़ करना, खुद को मुक्त करना है।
- वह सुन रहा है — बस तुम सच्चे रहो।
- प्रभु के लिए नहीं, प्रभु के साथ जियो।
- हर दिशा से वही दिशा।
- समस्या छोटी, समर्पण बड़ा।
- अनुग्रह से असंभव संभव।
- दूरी नहीं, दृष्टि बदलो।
- तुम्हारे भीतर बैठा है, खोज बाहर मत करो।
- जो मिला है, वही सबसे अच्छा है — अभी के लिए।
- खुशी माँगो, पर सबके लिए।
- अंत में बस प्रेम बचता है।
- प्रेम ही परम सत्य है।
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