Shayari Collection in Hindi – मोहब्बत, दर्द, दोस्ती, ज़िंदगी और इंसानियत शायरी

🙏 गणपति की जन्म कथा (पूरी कहानी) 🙏
गणेश जी को हिंदू धर्म में विघ्नहर्ता, प्रथम पूज्य, बुद्धि और ज्ञान के देवता माना जाता है। आइए उनकी जन्म कथा विस्तार से समझते हैं:
एक बार माँ पार्वती जी ने स्नान करने के लिए अपने शरीर के उबटन (हल्दी-चंदन के लेप) से एक सुंदर बालक की आकृति बनाई और उसमें प्राण फूँक दिए।
वह बालक ही गणेश जी बने।
माँ पार्वती ने गणेश जी को आदेश दिया —
“मैं स्नान करने जा रही हूँ, जब तक मैं न आऊँ तब तक तुम किसी को अंदर मत आने देना।”
इसी बीच भगवान शिव जी वहाँ आए और अंदर प्रवेश करना चाहा।
लेकिन गणेश जी ने माँ का आदेश मानते हुए उन्हें रोक दिया।
शिवजी को यह अनादर लगा और क्रोध में आकर उन्होंने अपने त्रिशूल से गणेश जी का मस्तक काट दिया।
माँ पार्वती ने जब यह देखा तो बहुत दुःखी हुईं और क्रोधित होकर पूरे ब्रह्मांड को नष्ट करने का संकल्प लिया।
तब सभी देवताओं ने शिवजी से प्रार्थना की कि वे गणेश जी को पुनः जीवित करें।
भगवान विष्णु और ब्रह्मा जी की सलाह पर शिवजी ने कहा –
“उत्तर दिशा में जो भी पहला जीव मिले, उसका सिर लाकर गणेश के धड़ पर स्थापित किया जाए।”
देवताओं ने देखा कि सबसे पहले एक हाथी (गज) मिला।
उन्होंने उसका सिर लाकर गणेश जी के शरीर पर जोड़ दिया।
इस प्रकार गणेश जी का पुनर्जन्म हुआ और वे गजानन कहलाए।
शिव-पार्वती ने अपने पुत्र को अनेक वरदान दिए:
गणेश जी को सर्वप्रथम पूज्य होने का आशीर्वाद मिला।
कोई भी देव-कार्य, यज्ञ, पूजा या मंगल कार्य बिना गणेश पूजन के पूर्ण नहीं होगा।
वे विघ्नहर्ता (सभी बाधाओं को दूर करने वाले) और सिद्धि-बुद्धि के दाता कहलाए।
गणपति जी को हमेशा शुभारंभ का देवता माना जाता है।
हर कार्य की शुरुआत “श्री गणेशाय नमः” से की जाती है।
उनकी पूजा से बुद्धि, ज्ञान, सफलता और समृद्धि की प्राप्ति होती है।
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