Karwa Chauth Story in Hindi | करवाचौथ की पौराणिक कथा
✅ करवा
चौथ की पौराणिक कथा – Story of Karwa Chauth in Hindi
करवा
चौथ हिन्दू धर्म में पति की लंबी उम्र, सुख-समृद्धि
और वैवाहिक जीवन की मजबूती के लिए रखा जाने वाला व्रत है। लेकिन क्या आप जानते हैं
कि इसके पीछे एक बहुत ही प्रेरणादायक कथा है? आइए
जानते हैं करवा चौथ की प्रचलित पौराणिक कहानी।
🌙
करवा
और उनके पति की सच्ची निष्ठा की कहानी
बहुत
समय पहले एक गाँव में
करवा नाम की पतिव्रता स्त्री
रहती थी। वह अपने पति से अत्यंत प्रेम करती थी और धर्म व निष्ठा की प्रतीक मानी
जाती थी। एक दिन उसके पति नदी में स्नान करने गए। वहाँ एक भयंकर
मगरमच्छ
ने
उनके पैर पकड़ लिए और उन्हें पानी में खींचने लगा।
उनके
पति ने ज़ोर-ज़ोर से मदद के लिए पुकारा। यह सुनकर करवा तुरंत नदी किनारे पहुँची और
बिना एक पल गँवाए अपने पति को बचाने का प्रयास किया। करवा ने सूती धागे से मगरमच्छ
को बाँध लिया और
यमराज के सामने जाकर कहा:
“यदि मेरे पति को कुछ
हुआ,
तो
मैं आपको श्राप दे दूँगी!”
करवा
की निष्ठा और साहस से प्रभावित होकर यमराज ने कहा:
“हे सती स्त्री, मैं तुम्हारे पति को
लंबी आयु प्रदान करता हूँ।”
इस
प्रकार करवा ने अपने पति की रक्षा की। तभी से करवा
चौथ का व्रत
पति
की लंबी उम्र और सुहाग की रक्षा का प्रतीक माना जाने लगा। इस व्रत का नाम भी करवा नामक इसी स्त्री के नाम
पर पड़ा।
🌼
दूसरी
कथा –
करवा
चौथ और वीरवती की कहानी
एक
अन्य कथा के अनुसार,
वीरवती नाम की सुंदरी सात
भाइयों की एकमात्र बहन थी। वह पहली बार करवा चौथ का व्रत रख रही थी। शाम होते-होते
भूख और प्यास से उसका बुरा हाल हो गया। उसे परेशान देखकर उसके भाइयों ने झाड़ियों
में दर्पण लगाकर नकली चाँद दिखा
दिया।
वीरवती
ने व्रत तोड़ लिया—पर जैसे ही उसने पहला
कौर खाया,
उसे
भाई की मृत्यु का संदेश मिल गया। दुखी वीरवती ने माता पार्वती की पूजा की। माता
पार्वती प्रकट हुईं और बोलीं:
“बहन, तुमने नियम तोड़ा है, इसलिए यह दुःख आया है।
पर चिंता मत करो—तुम सच्चे दिल से फिर
से करवा चौथ का व्रत करो। तुम्हारे भाई फिर जीवित हो उठेंगे।”
वीरवती
ने श्रद्धा से व्रत किया और उसके भाई को नया जीवन मिल गया
💞
करवा
चौथ का महत्व
इन
कथाओं से हमें यह सिख मिलती है कि:
✅
सच्ची
श्रद्धा और विश्वास से हर कठिनाई पार की जा सकती है
✅
करवा
चौथ सिर्फ व्रत नहीं –
यह समर्पण, प्रेम और अटूट विश्वास
का पर्व
है
✅
यह
व्रत पति-पत्नी के रिश्ते को और मजबूत बनाता है
🌙 करवा चौथ की प्रचलित दूसरी
कथा –
सावित्री
और सत्यवान की कथा
करवा
चौथ की कथा
सावित्री
और सत्यवान
की
कहानी से भी जुड़ी मानी जाती है। यह कहानी बताती है कि कैसे एक पत्नी के संकल्प
और साहस
ने
यमराज तक को बदल दिया।
एक
समय की बात है,
राजा
अश्वपति की पुत्री
सावित्री अत्यंत सुंदर, बुद्धिमान और धर्मपरायण
थी। उसने अपने स्वयंवर में
सत्यवान नामक वनवासी राजकुमार
को पति चुना। लेकिन नारद मुनि ने सावित्री को चेतावनी दी कि सत्यवान एक वर्ष बाद
मर जाएगा। इसके बावजूद सावित्री ने दृढ़ता से कहा:
“मृत्यु भी मुझे मेरे
पति से अलग नहीं कर सकती। मैं उनका साथ हर हाल में निभाऊँगी।”
सावित्री
विवाह के बाद अपने पति के साथ वन में रहने लगी। एक वर्ष बाद वह समय आ गया जिसे
नारद मुनि ने बताया था। उस दिन सावित्री ने कठोर
व्रत रखा
और
ईश्वर से पति की लंबी आयु के लिए प्रार्थना की। जब सत्यवान लकड़ी काटते समय थककर
पेड़ के नीचे सोए,
तभी यमराज आए और सत्यवान की आत्मा
लेकर चल दिए।
सावित्री
उनके पीछे-पीछे चलने लगी। यमराज ने उसे रोका और कहा:
“देवी, मृत देह के पीछे चलना
उचित नहीं।”
सावित्री
ने विनम्रता से उत्तर दिया:
“धर्म यह नहीं कहता कि
मुसीबत में पत्नी पति का साथ छोड़ दे।”
यमराज
उसकी बुद्धि और निष्ठा से प्रभावित हुए और बोले:
“माँगो, क्या वर चाहती हो—पर सत्यवान का जीवन
नहीं।”
सावित्री
ने चतुराई से कहा:
“तो मुझे पुत्रवती होने
का आशीर्वाद दीजिए।”
यमराज
ने वरदान दे दिया,
लेकिन
फिर सावित्री बोली:
“पुत्रवती वही हो सकती
है जिसका पति जीवित हो। इसलिए आपको मेरे पति को जीवित करना ही होगा।”
यमराज
निरुत्तर हो गए और सत्यवान को पुनः जीवन दे दिया। तभी से पतिव्रता
स्त्रियों की निष्ठा
और व्रत
का महत्व
करवा
चौथ में माना जाने लगा।
✅ इस कहानी से सीख
·
सच्ची
श्रद्धा और दृढ़ निश्चय बड़ी से बड़ी विपत्ति को मात दे सकते हैं
·
पत्नी
का संकल्प और प्रेम धार्मिक शक्ति का रूप ले लेता है
·
करवा
चौथ व्रत में
आस्था
+ संयम + समर्पण
ही
असली शक्ति है
🪔 करवा चौथ की तीसरी कथा – भीलनी (गरीब स्त्री) की
कहानी
बहुत
समय पहले एक छोटे से गाँव में एक
गरीब भीलनी स्त्री
अपने
पति के साथ रहती थी। दोनों जंगल से लकड़ियाँ काटकर जीवन चलाते थे। भीलनी अपने पति
से बहुत प्रेम करती थी और हमेशा उसकी लंबी उम्र की दुआ करती थी।
एक
बार करवाचौथ का व्रत आया। उसने यह व्रत रखने का संकल्प लिया, लेकिन उसके पास पूजा के
लिए
सामग्री
खरीदने के पैसे तक नहीं थे।
उसने अपनी पुरानी मिट्टी की हांडी को ही करवा बना लिया और जंगल से ही फूल तोड़कर
पूजा की। शाम को उसने व्रत रखा और चंद्रमा का इंतजार करने लगी।
उधर, एक दुष्ट महिला थी जिसे
उसकी श्रद्धा और सच्चाई से जलन थी। उसने सोचा कि मैं इसका व्रत बिगाड़ दूँगी। वह
पास की पहाड़ी पर लालटेन जलाकर बैठ गई और झूठा चाँद दिखाते हुए बोली:
“अरी भाभी! चाँद निकल
आया,
जल्दी
व्रत खोल लो!”
भोली
भीलनी ने उसकी बात मान ली और व्रत तोड़ दिया। उसी रात उसके पति पर भारी
विपत्ति
आ गई
और वह गंभीर रूप से बीमार पड़ गया। कुछ समय बाद तो उसकी साँसें भी धीमी हो गईं।
भीलनी
रोती हुई जंगल में जा बैठी और ईमानदारी से भगवान से प्रार्थना करने लगी—
“हे भगवान! यदि मेरा
व्रत अधूरा था तो मुझे क्षमा करें। मैं फिर से करवाचौथ का व्रत करूँगी। मुझे अपने
पति से अलग मत करें।”
उसकी
सच्ची प्रार्थना और आस्था से देवता प्रसन्न हुए। अचानक एक
दिव्य प्रकाश प्रकट हुआ।
आकाश से देवी की आवाज़ आई:
"हे सती नारी! तुम्हारा
व्रत तुमने भले ही गलती से तोड़ा,
पर
मन से तुम सच्ची हो। तुम्हारे पति को लंबी आयु प्राप्त होगी।"
ऐसा
कहते ही उसका पति फिर से जीवित हो उठा। उसी दिन से यह माना जाने लगा कि करवा
चौथ का व्रत मन से किया जाए तो वह अवश्य फल देता है, चाहे साधन कम ही क्यों
न हों।
✅ शिक्षा (Moral of
Story)
✔
करवा
चौथ व्रत का असली मूल्य
सच्चा
प्रेम और आस्था
है
✔
व्रत
दिल से किया जाए तो
भगवान
अवश्य फल देते हैं
✔
पूजा
में बाहरी दिखावा नहीं,
श्रद्धा
सबसे ज़्यादा महत्वपूर्ण है
🌙 करवा चौथ की चौथी कथा – द्रौपदी और अर्जुन की
कथा (महाभारत काल)
महाभारत
काल में भी
करवा
चौथ व्रत का महत्व
बताया
गया है। यह कथा पांडवों और द्रौपदी से जुड़ी है।
एक
बार की बात है,
अर्जुन
तपस्या के लिए नीलगिरि पर्वत पर गए हुए थे और बाकी चारों पांडव भाई—युधिष्ठिर, भीम, नकुल और सहदेव—द्रौपदी के साथ वन में
रह रहे थे। उसी दौरान पांडवों पर कई संकट आने लगे। द्रौपदी बहुत चिंतित हुई और
सोचने लगी:
“हे भगवान! मेरे पति
कठिनाइयों में हैं। मैं उनकी रक्षा कैसे करूँ?”
उन्होंने
भगवान कृष्ण को याद किया। भगवान कृष्ण तुरंत प्रकट हुए और बोले:
“पांचाली! चिंता मत करो।
तुम्हारे संकट दूर हो सकते हैं,
यदि
तुम श्रद्धा से
करवा
चौथ का व्रत
करो।
यह व्रत पति की रक्षा और लंबी उम्र के लिए अत्यंत प्रभावशाली है।”
कृष्ण
ने द्रौपदी को करवाचौथ का
विधान
और शक्ति
बताई।
द्रौपदी ने विधि-विधान से व्रत रखा—चंद्रमा को अर्घ्य दिया, पूजा की और पति की लंबी
आयु का संकल्प किया। परिणामस्वरूप पांडवों के सामने आए संकट तुरंत टल गए और वे
विजय की ओर बढ़े।
✅ इस कथा से सीख
✔
करवा
चौथ सिर्फ सुहाग ही नहीं,
परिवार
की रक्षा का पर्व भी है
✔
संकटों
को दूर करने वाला शक्ति-युक्त व्रत है यह
✔
श्रद्धा
और संकल्प से असम्भव भी सम्भव होता है
Post
By – The Shayari World Official
Comments
Post a Comment